
कैट ने वाट्सएप तथा फेसबुक की मनमानी नीतियों के खिलाफ आज सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की
रायपुर(mediasaheb.com) कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष …
Read MoreChhattisgarh Latest News, छत्तीसगढ़ समाचार, Raipur News in Hindi – mediasaheb.com
Other News Today: Get all the Latest Business News, Sport’s News, India and International News on the Media Saheb
रायपुर(mediasaheb.com) कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष …
Read More11 वीं में मैथ्स लेकर शुरू कर दी थी पढ़ाई, पिता का सपना पूरा करने दो महीने बाद बदल दिया सब्जेक्ट टॉपर दोस्तों को देखकर पहुंचा कोचिंग शुरूआत में नहीं पड़ता था कुछ भी पल्ले. जानिए एवरेज स्टूडेंट के नीट क्वालिफाई करने के सफर को भिलाई(mediasaheb.com). कबीधाम जिले के छोटे से गांव डोमाटोला में रहने वाले किसान के बेटे ने नीट क्वालिफाई किया है। रायपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर अब डालेश्वर अपने परिवार के पहले डॉक्टर बनेंगे। बचपन से एवरेज स्टूडेंट रहे डालेश्वर साहू ने बताया कि वह मैथ्स लेकर इंजीनियर बनना चाहते थे। इसलिए 11 वीं मैथ्स ले लिया। दो महीने तक पढ़ाई भी कि लेकिन एक दिन दसवीं पास पिता लीला राम ने समझाया कि इंजीनियर बनकर तुम अपना भला करोगे, लेकिन अगर तुम एक डॉक्टर बनते हो तो पूरे समाज का भला होगा। हमारे देश में वैसे भी डॉक्टरों की बहुत कमी है। उनकी ये बात दिल पर लग गई। अगले ही दिन स्कूल जाकर वाइस प्रिंसिपल सर से रिक्वेस्ट करके बायो में एडमिशन ले लिया। शुरूआत में बहुत दिक्कत हुई धीरे-धीरे बायो में भी इंटरेस्ट आने लगा। पिता के सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत में जुट गया। 12 वीं बोर्ड में मेरे केवल 71 प्रतिशत आए। पर्सेंटेज से निराश होने की बजाय मैंने नीट की तैयारी शुरू कर दी। दो साल ड्राप लेकर अंतत: दूसरे अटेम्ट में नीट क्वालिफाई कर लिया। अच्छी रैंक होने की वजह से रायपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन मिला तो पिता खुशी से झूम गए। पढ़ाई डिस्टर्ब न हो इसलिए चलाया की-पैड वाला फोन डालेश्वर ने बताया कि नीट के लिए लगातार दो साल ड्रॉप लेकर पढ़ाई की। ऐसे में पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए केवल की-पैड वाला फोन इस्तेमाल करता था। उसमें भी सिर्फ मिस कॉल करने के लिए बैलेंस रखता था ताकि केवल पैरेंट्स से बात कर सकूं। दोस्त मुझे चिढ़ाते थे कि स्मार्ट फोन के दौर में क्या डब्बा लेकर घूमता है पर मैं उनकी बातों को नजरअंदाज करता था। सोशल मीडिया में आज तक अपना प्रोफाइल भी नहीं बनाया है, क्योंकि मुझे लगता था कि अब डॉक्टर ही मेरा प्रोफाइल है। पहली बार कोचिंग मैं दोस्तों के साथ पहुंचा तब नीट के बारे में भी कोई आइडिया नहीं था। शुरूआत के कई महीने तो कुछ भी पल्ले ही नहीं पड़ता था। धीरे-धीरे मेहनत करता गया और सफलता हाथ लगी। क्रैश कोर्स से मिला बहुत लाभ डालेश्वर ने बताया कि 12वीं के बाद उन्होंने सचदेवा से क्रैश कोर्स किया। यहां टीचर्स ने जिस तरीके से सलेक्टिव मटेलियल की स्टडी कराई वो नीट के फाइनल अटेम्ट तक बहुत काम आया। कम समय में पूरे सिलेबस को भी कवर किया। टीचर्स हमेशा डाउट पूछने के लिए मोटिवेट करते थे। इसी वजह से गांव से आकर मैं शहर बच्चों के बीच थोड़ा खुल पाया। सचदेवा की सबसे अच्छी बात यह है कि यहां टेस्ट सीरिज में स्टूडेंट अपनी तैयारी को खुद ब खुद परख सकता है। साथ सलेक्टिव स्टडी मटेरियल मिलने से ज्यादा की जगह केवल जरूरी पढऩे पर स्टूडेंट अपना समय देता है। इससे टाइम मैनेंजमेंट की बेहतर सीख मिली। बिजली चली जाती थी तो पिता ने लगवा दिया घर में इनवर्टर कोरोना की वजह से अचानक लॉकडाउन हो गया तब कोचिंग की पढ़ाई छोड़कर गांव वापस लौटना पड़ा। डालेश्वर ने बताया कि वे पूरे एक महीने तो क्वारंटाइन सेंटर में रहे। इसके बाद भी जब तक नीट की परीक्षा नहीं हो गई वे घर से बाहर नहीं निकले। गांव में बार-बार बिजली कट हो जाती थी। रात में ठीक से पढ़ नहीं पाता था तब पापा ने घर में एक इनवर्टर भी लगा दिया। अपनी हैसियत से ज्यादा खर्च करके उन्होंने मेरी पढ़ाई की हर जरूरत पूरी की। उनकी बदौलत ही आज मैं डॉक्टर बनने जा रहा हूं। सचदेवा के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर का एक वीडियो देखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि असफलता केवल दिमाग की उपज है। इंसान चाह ले तो उसे कभी भी सफलता में बदल सकता है। उनकी इस बात से बहुत प्रेरणा मिली। इस साल जो बच्चे नीट की तैयारी कर रहे हैं उनसे यही कहना चाहूंगा कि ज्यादा की जगह केवल सलेक्टिव पढ़ें। टाइम मैनेंजमेंट करना सीखें।(the …
Read Moreफिक्की में लगातार तृतीय कार्यकाल रायपुर, (media saheb.com)। फिक्की छत्तीसगढ़ ने अपने …
Read Moreव्यक्तित्व निर्माणहेतु आधार है धैर्य, अनुशासन, आत्मविश्वास रायपुर(mediasaheb.com) रामकृष्ण मिशन विवेकानंद आश्रम …
Read Moreरायपुर(mediasaheb.com)बोर्ड परीक्षा के लिए टाइम मैनेजमेंट एक बहुत ही महत्वपूर्ण आधार है। जैसे ही परीक्षाएं नजदीक आती हैं तो अचानक ही एक चीज हम सब के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है और वो है “Time” या समय । एग्जाम में टाइम मेनेजमेंट के लिए खुद को कैसे तैयार करें । कुछ ऐसे ही टिप्स बताने जा रहें हैं 100 डेज बूस्टर कोर्स के माध्यम से। जिनकी मदद से आप बोर्ड एग्जाम में बेहतरीन तरीके से अपने उत्तर पेश कर सकेंगे और अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे. आज ही अपना …
Read Moreनई दिल्ली, 12 जनवरी (हि.स.)।भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और …
Read Moreमुम्बई, (media saheb.com) | कारोबारी सप्ताह के दूसरे दिन घरेलू …
Read Moreकेंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने किया कोयला मंत्रालय …
Read Moreविद्यार्थियों के पाठ्यक्रम के लिए उपयोगी – कुलपति प्रो. के.एल …
Read Moreकोरबा के दीपका की अराधना ने दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में किया नीट क्वालिफाई बार-बार फेल्यिर से बना लिया था पढ़ाई छोडऩे का मन, पैरेंट्स ने दिया तीसरी बार कोशिश करने का हौसला भिलाई (media saheb.com). दसवीं कक्षा में एक एक्सीडेंट में पिता की मौत हो गई। मां ने दो बच्चों को पालने के लिए प्राइवेट कंपनी में नौकरी करना शुरू कर दिया। मैं घर की बड़ी बेटी हूं, ऐसे में नाना का सपना था कि मैं डॉक्टर बनकर समाज में खुद की एक पहचान बनाऊं। उनके सपने को पूरा करने का सफर मेरे लिए कांटों से भरा रहा। दो बार नीट में असफल होकर मैं टूट सी गई थी। ये तक सोचने लग गई थी कि समाज में लोग क्या कहेंगे। बेटी को बाहर पढ़ने भेजा और पता नहीं ये क्यों परीक्षा पास नहीं कर पाई। एक वक्त ऐसा आया जब मैंने एमबीबीएस का सपना छोड़कर किसी और कोर्स में एडमिशन लेने के लिए खुद को मैंटली तैयार कर लिया था। इसी बीच पैरेंट्स ने कहा कि एक बार आखिरी कोशिश करो तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी। कोरोनाकाल में मैंने तीसरी और आखिरी कोशिश की। फाइनली नीट क्वालिफाई करके अब मैं डॉक्टर बनूंगी। ये कहानी है कोरबा के दीपका की रहने वाली अराधना जायसवाल की। जिसने बार-बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करके ही दम लिया। अराधना कहती है कि दूसरे लोगों का मोटिवेशन कुछ दिनों तक असर करता है, लेकिन अगर आपको सफल होना है तो खुद से मोटिवेट होना होगा। जब तक आपके अंदर सक्सेस तक पहुंचने की फीलिंग नहीं आएगी तब तक आप अपना सौ फीसदी नहीं दे पाओगे। महज सात नंबर से चूक गई थी दूसरे प्रयास में अराधना ने बताया कि नीट के लिए लगातार दो साल ड्रॉप लेना पड़ा। दूसरे प्रयास में मैं महज सात नंबर से नीट क्वालिफाई करने से चूक गई थी। ये मेरी लाइफ का सबसे मुश्किल समय था। सफलता मेरे सामने थी पर वहां से असफल होकर लौटना पड़ा। इस फेल्यिर से मैं बुरी तरह टूट गई थी। खुद को समझा नहीं पा रही थी कि इस सात नंबर के लिए पूरे एक साल मैं कैसे इंतजार करूंगी। कई बार ऐसा हुआ कि पढ़ाई छोड़कर खूब रोती थी। मन में बुरे-बुरे ख्याल भी आते थे कि पैरेंट्स ने कितना पैसा खर्च किया और मैं फेल हो गई। बाद में टीचर्स और दोस्तों ने काफी मोटिवेट किया जिसके बाद मैंने दोबारा तैयारी शुरू की। इस साल लॉकडाउन में खुद को हर रोज याद दिलाया कि मुझे नीट क्वालिफाई करना है। जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के बाद पूरा परिवार खुशी से झूम गया है। सचदेवा के टीचर्स ने दी दोबारा पढ़ाई करने की हिम्मत अराधना ने बताया कि 12 वीं के बाद नीट की तैयारी के लिए उनके रिश्तेदारों ने सचदेवा कोचिंग के बारे में बताया था। रिश्तेदार की बेटी सचदेवा में पढ़कर एमबीबीएस कर रही है। इसलिए पहले साल तैयारी के लिए सचदेवा पहुंच गई। यहां टीचर्स ने मेरी हर उन गलतियों को सुधारा जिसके कारण मैं टेस्ट और बाकी चीजों में पीछे रह जाती थी। फिजिक्स शुरू से वीक था। टीचर्स ने फिजिक्स की कई तरह से पढ़ाई कराई। जिससे मैं चीजों को जल्दी समझकर याद रख पाऊं। जब दूसरे अटेम्ट में कुछ नंबर से नीट क्वालिफाई नहीं कर पाई तो सचदेवा के टीचर्स ने तीसरी बार तैयारी के लिए बहुत हिम्मत दी। उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि तुम कर सकती हो। जैन सर ने कहा था इंसान मेहनत से बदल सकता है किस्मत की लकीरेंसचदेवा के डारेक्टर चिरंजीव जैन सर हर सप्ताह बच्चों की काउंसलिंग करते थे। एक दिन उन्होंने हमारी काउंसलिंग करते हुए कहा था कि इंसान चाहे तो अपनी मेहनत से अपनी किस्मत की लकीरों को बदल सकता है। वे हमेशा छोटी – छोटी कहानियां सुनाकर हमें मोटिवेट किया करते थे। ग्रुप के अलावा जरूरत पडऩे पर बच्चों की पर्सनल काउंसलिंग करते थे। जो हमें डिप्रेशन और निराशा से बाहर निकाल देता था। इस साल जो स्टूडेंट नीट की तैयारी कर रहे हैं उनसे बस इतना ही कहना चाहूंगी कि जब भी निराश हो एक बार अपने पैरेंट्स के बारे में जरूर सोचे। हमेशा उनसे बात करें। कई बार छोटी – छोटी बातों को बड़ी बनाकर हम लक्ष्य से भटक जाते हैं। पैरेंट्स बातों -बातों में उन्हें सुलझाकर हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हैं। …
Read More