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मुंबई, (media saheb.com) भारतीय Team के पूर्व बल्लेबाज सुरेश रैना को मुंबई हवाई अड्डे के पास कोरोना के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के मामले हिरासत में लिया…

भिलाई (mediasaheb.com). सफलता एक दिन में नहीं मिलती, लेकिन ठान लिया जाए तो एक दिन जरूर मिल जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ सूरजपुर जिले के जोबदा गांव के गरीब परिवार में पले बढ़े अंजीत मिंझ के साथ। डॉक्टर बनने का सपना बचपन से था पर 12 वीं बोर्ड के बाद तैयारी शुरू की तो पैसे की कमी आड़े आ गई। गरीब किसान पिता ननसाय ने किसी तरह बैंक से उधार लिया तो बेटा भी अपने मेहनत में पीछे नहीं हटा। तीन साल के कठिन परिश्रम और लगन के बाद आखिरकार अंजीत ने कोरोनाकाल में नीट क्वालिफाई कर ही लिया। अपने तीसरे प्रयास में सफल होकर होनहार छात्र ने राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है। इसके साथ ही अंजीत अपने गांव और परिवार दोनों के पहले डॉक्टर बनेंगे। विपरीत हालात और विषम आर्थिक परिस्थिति में दिन गुजारने वाले अंजीत कहते हैं कि मन में चाहत हो तो आसमान को भी झुकाया जा सकता है। मुझे खुद पर भरोसा था कि मैं नीट जरूर क्वालिफाई करूंगा। लोग एक साल ड्रॉप लेकर हार मान जाते हैं पर मैंने दो साल ड्रॉप लेकर भी हार नहीं मानी। ढाई एकड़ की खेती से किसान पिता करते हैं पांच भाई-बहनों का भरण पोषण गांव के सरकारी स्कूल में पढ़कर एमबीबीएस की सीट हासिल करने वाले अंजीत ने बताया कि उनके पिता के पास सिर्फ ढाई एकड़ खेत है। इसी में खेती करके पिता पांच भाई – बहनों का भरण – पोषण कर रहे हैं। उन्होंने हमारी पढ़ाई में कोई कमी नहीं होने दी। नीट की तैयारी के लिए मैं कोचिंग करना चाह रहा था। उस वक्त पैसों की बहुत दिक्कत आई। तब मैंने पापा को भरोसा दिलाया कि आप जो पैसा मुझकर पर कर्ज लेकर खर्च करेंगे वो जाया नहीं जाएगा। मैं दिन रात एक कर दूंगा डॉक्टर बनने के लिए। हर दिन दिमाग में बस एक ही बात घूमता था कि डॉक्टर बनकर पिता के कर्ज के डेढ़ लाख रुपए लौटाने हैं। इसलिए हमेशा खुद को डिप्रेशन और बाकी चीजों से दूर रखा ताकि मेरा हौसला न टूटे। एमबीबीएस के बाद न्यूरोलॉजिस्ट बनकर मानसिक बीमारी से जूझ रहे लोगों की मदद करना चाहता हूं। तन की बीमारी से ज्यादा बड़ी मन और दिमाग की बीमारी होती है। ये बात एक डॉक्टर बेहतर तरीके से समझ और समझा सकता है। सचदेवा से पढ़े एक्स स्टूडेंट ने किया गाइड 12 वीं बोर्ड के बाद पैसों की दिक्कत के कारण किसी कोचिंग में एडमिशन नहीं ले पाया। ऐसे में एक साल घर में ही रहकर तैयारी की। जब दूसरे साल पैसे की व्यवस्था हुई तो सचदेवा से पढ़कर डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे एक्स स्टूडेंट ने यहां एडमिशन लेने के लिए गाइड किया। अंजीत ने बताया कि जैसा सुना था सचदेवा का माहौल उससे कहीं ज्यादा बेहतर निकला। हिंदी मीडियम स्टूडेंट होने कारण नोट्स को लेकर दिक्कत होती थी। ऐसे में टीचर्स ने पूरी तरह सहयोग करते हुए हर छोटे – बड़े डाउट को क्लीयर किया। साथ ही साथ टाइम मैनेजमेंट और टेस्ट सीरिज से फरफार्मेंस सुधारने की सलाह दी। घर में पढ़ाई रेगुलर नहीं हो पा रही थी पर सचदेवा में आकर रोजाना आठ से दस घंटे पढऩे की आदत लग गई। टीचर्स हर दिन कहते थे तुम कर सकते हो। ये सुनकर तनाव भी कम होता था।

प्रदेश के लिए अपूर्णीय छति – CAIT रायपुर (#mediasaheb.com) कन्फेडरेशन ऑफ आॅल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के प्रदेश् ा अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम…

दो यूनिट्स ने मिलकर एक ही दिन में 7345 टन का रिकाॅर्ड उत्पादन देश में समान आकार की किसी भी ब्लास्ट फर्नेस द्वारा हासिल की गई सर्वोच्च…

नीट क्वालिफाई करके दसवीं पास पिता के सपनों को दिया पंख भिलाई(mediasaheb.com). बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक के वनांचल ग्राम सहगांव की खिलेवरी पिस्दा ने डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए सबसे कठिन माने जाने वाले नीट की परीक्षा क्वालिफाई किया है। अब आंगनबाड़ी सहायिका गीता की बेटी जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर डॉक्टर बनेगी। विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के बीच दसवीं पास किसान पिता डोमेंद्र का सपना था कि बेटी पढ़कर लिखकर डॉक्टर बने। इसलिए उन्होंने परिवारवालों से कर्ज लेकर बेटी को एक साल तक नीट की कोचिंग कराई। महज तीन एकड़ में किसानी करने वाले पिता कहते हैं कि बेटी ने एमबीबीएस की सीट हासिल करके उस ऋण का मूल्य अदा कर दिया है। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाली खिलेश्वरी अपनी सफलता से बेहद उत्साहित है, वो कहती है कि अगर आपके सपने बड़े हैं तो खुद को एक मौका जरूर देना चाहिए। नीट के लिए एक साल ड्रॉप लेकर मैंने खुद को दूसरा चांस दिया। कड़ी मेहनत से ही आज मैं एमबीबीएस की सीट हासिल कर पाई। इंग्लिश से लगता था डर, सोचती थी कि कहीं पीछे न रह जाऊं खिलेश्वरी ने बताया कि गांव के स्कूल में दसवीं तक पढ़कर आगे की पढ़ाई प्रयास आवासीय विद्यालय दुर्ग से की। 12 वीं बोर्ड में 80 प्रतिशत अंक आए लेकिन इंग्लिश का डर मन से जा नहीं रहा था। एक साल ड्रॉप लेकर जब नीट की तैयारी शुरू की तो यही अंग्रेजी एक बार फिर मेरी पढ़ाई में रोड़ा बनने लगी। जिसके कारण कई बार मैं डिप्रेशन में चली जाती थी। लगता था कि इस अंग्रेजी की वजह से मैं पीछे न रह जाऊं। एक दिन जब कोचिंग में हिंदी मीडियम से पढ़कर डॉक्टर बनने वाली महिला चिकित्सक कविता से रूबरू हुई तब लगा कि जब वो कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं। उसी दिन से अंग्रेजी सुधारने के लिए मेहनत करना शुरू कर दिया। अब अंग्रेजी से डर नहीं लगता। जो सब्जेक्ट बोरिंग लगता था उसे भी इंटरेस्ट से पढऩा शुरू किया। नोट्स और पढ़ाने का तरीका आया सचदेवा में रास खिलेश्वरी ने बताया कि जब वह नीट के लिए कोचिंग तलाश कर रही थी तभी उनके परिचित और फिलहाल डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे भैय्या ने सचदेवा कॉलेज भिलाई के बारे में बताया। वो यहां के एक्स स्टूडेंट भी रह चुके हैं। इसलिए किसी और जगह जाने की बजाय सीधे सचदेवा भिलाई में ही एडमिशन लिया। यहां पढ़ते-पढ़ते एक साल कैसे निकल गया पता ही नहीं चला। एक समय था जब मुझे नोट्स बनाने में बहुत दिक्कत होती थी। सचदेवा में टीचर्स ने बहुत ही सरल तरीके से नोट्स बनाना सिखाया। नीट की तैयारी के लिए हिंदी मीडियम के स्टूडेंट्स के लिए इससे बेहतर और कोई कोचिंग हो ही नहीं सकता। टीचर्स हर बार नए तरीके से चीजों को समझाते थे। जिससे हम पढ़ी हुई बातों को लंबे समय तक याद रख पाए। डिप्रेशन दूर करने जैन सर ने सुनाई थी हाथी की कहानीनीट की तैयारी के दौरान कई बार डिप्रेशन में आ जाती थी। लगता था सब मुझसे अच्छा कर रहे हैं। कहीं मैं अपने माता-पिता का पैसा तो वेस्ट नहीं कर रही। मैं डॉक्टर बन पाऊंगी या नहीं। ऐसे सवाल मन में घूमते रहते थे। एक दिन चिरंजीव जैन सर ने काउंसिलिंग सेशन में मुझे एक हाथी की कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि दो दोस्त थे। एक दोस्त के पास छोटा हाथी था। वो उसे रस्सी से बांधकर रखता था। एक दिन छोटे हाथी ने भागने की कोशिश की पर वो भाग नहीं पाया। धीरे-धीरे हाथी बड़ा हो गया और रस्सी, जंजीर में बदल गई। आदमी से कई गुना बड़ा और शक्तिशाली होने के बाद भी वो हाथी आज भी जंजीरों में जकड़ा हुआ है। क्योंकि उसने कभी दोबारा उस जंजीर को तोडऩे की कोशिश ही नहीं की। तब समझ में आया कि कोशिश करने से नंबरों को कभी भी बदला जा सकता है। दोबारा कोशिश करूंगी तो जरूर अच्छे नंबर मिलेंगे। धीरे-धीरे और लगातार कोशिश से टेस्ट सीरिज में रिजल्ट अच्छा आने लगा और सीधे नीट क्वालिफाई होने का सर्टिफिकेट घर लेकर पहुंची। जैन सर ने काउंसलिंग के साथ ही एक पैरेंट्स की तरह ख्याल रखा। जिससे कारण घर से दूर रहकर कभी घर की कमी महसूस नहीं हुई।

नीट क्वालिफाई करके अब डॉक्टर बनेगी भिलाई की अमीशा भिलाई.(media saheb.com) आजकल के युवाओं की जिंदगी जहां स्मार्ट फोन के इर्द-गिर्द नाचती है वहीं भिलाई की अमीशा का ध्यान केवल नीट की तैयारी पर केंद्रित रहा। अपने बचपन के डॉक्टर बनने के सपने को पूरा करने के लिए अमीशा मंडावी ने खुद का पर्सनल मोबाइल तक नहीं खरीदा। ताकि पढ़ाई में मोबाइल रूकावट न बने। दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत दूसरे प्रयास में नीट क्वालिफाई करके अब सिम्स बिलासपुर में एडमिशन लेकर अमीशा अपने परिवार की पहली डॉक्टर बनेगी। अमीशा कहती है कि जब सारे दोस्त महंगे फोन लेकर सोशल मीडिया साइट्स पर बिजी रहते थे तब मैं दो साल तक केवल किताबों में उलझी रही। कई बार वो मुझे पढ़ाकू और बोरिंग बोलकर चिढ़ाते भी थे। उनकी इन बातों का मुझ पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि मैं जानती थी कि फोन तो कभी भी खरीद सकती हूं, लेकिन नीट क्वालिफाई करने का मौका चूक जाऊंगी तो जीवन में कभी डॉक्टर नहीं बन पाऊंगी। इसलिए खुद की पहचान बनाने के लिए दिन रात पढ़ाई करती थी। जिसका सुखद परिणाम आज एमबीबीएस की सीट के रूप में मिला है। घर की आर्थिक परिस्थिति खराब थी इसलिए पापा पढ़ नहीं पाए पर मुझे किया प्रेरित अमीशा ने बताया कि बीएसपी वर्कर पिता छत्तर सिंह घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण ज्यादा पढ़ नहीं पाए। आईटीआई करने के बाद उन्हें नौकरी ज्वाइन करनी पड़ी। पापा की ये सोच थी कि उनके बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करें। इसलिए हर दिन मुझे प्रेरित किया कि तुम डॉक्टर बन सकती हो। उनके मोटिवेशन के कारण ही एक साल के ड्रॉप इयर में मैं खुद को इतना समय दे पाई। डिप्रेशन पर कंट्रोल कर पाई। जब मैंने नीट क्वालिफाई किया तो पिता ने गिफ्ट के रूप में मोबाइल फोन खरीदकर दिया है। एमबीबीएस के बाद मैं स्त्री रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हूं। मुझे लगता है कि एक महिला डॉक्टर समाज में पीडि़त, शोषित महिला को ज्यादा अच्छी तरह समझकर उसे मेंटल और फिजिकल स्ट्रेंथ दे सकती है। महिलाओं और बच्चियों के लिए कुछ बेहतर करने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। सचदेवा के टीचर्स ने सिखाया खुद पर भरोसा करना नीट की तैयारी के लिए सचदेवा भिलाई के एक्स स्टूडेंट ने मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि यही एक कोचिंग हैं जहां पढ़ाई के साथ-साथ आपको मेंटल सपोर्ट भी मिलेगा। कोचिंग में पहले दिन कदम रखते ही ये बात सच साबित हुई। शुरूआत में टेस्ट सीरिज में काफी कम नंबर आते थे। तब यहां के टीचर्स ने मुझे हौसला दिया कि मैं भी टॉप 10 में आ सकती हूं। बार-बार जब अपनी फेल्यिर से निराश होती थी तब टीचर्स मुझसे कहते थे कि अगले टेस्ट में तुम बेहतर करोगी। ऐसा ही हुआ। धीरे-धीरे डाउट क्लीयर हुए और विषय की समझ बढ़ती चली गई। भूलने की आदत पर काबू पाने जैन सर ने दिया नुस्खा नीट की तैयारी के मिड सेशन में बहुत ज्यादा डिप्रेशन होने लगा। टेस्ट में पढ़ा हुआ  लेसन भी भूल जाती थी। ऐसे में सचदेवा न्यू पीटी कॉलेज के डायरेक्टर चिरंजीव जैन सर ने मुझे भूलने की आदत पर काबू पाने के लिए अचूक नुस्खा दिया।(the states. news)

नई दिल्ली, (media saheb.com)  | विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रणनीति के क्षेत्र में चर्चित भारत-प्रशांत विचार को आसान शब्दों में समझाते हुए…

नई दिल्ली, (media saheb.com)। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि भारत अगले दो वर्षों में ‘टोल बूथ मुक्त’ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने…

अब बनेंगे परिवार के पहले डॉक्टर भिलाई, (media saheb.com) लगातार दो साल ड्रॉप लेकर तीसरे अटेम्ट में कोरबा के प्रियांशु गोल ने नीट क्वालिफाई किया है।…